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शब्दकोश > हिंदी शब्दकोश > "कड़कना" अर्थ

कड़कना का अर्थ

उदाहरण वाक्य
11.जीरा जैसे ही कड़कना शुरू हो जाय तब इस तेल में दाल का इतना घोल डालिये कि चीला 1 / 2 सेमी. मोटा दिखाई दे, चीले को धीमी आग पर ढककर 4- 5 मिनिट तक सिकने दीजिये.

12.मगर माबूदे - बेदारी ! कहीं फितरत बदलती है धुएं को गर्म होने दे , भड़कना अब भी आता है मेरी जानिब से इतमीनान रख , आतिशनवा रहबर जरा बादल तो टकराए कड़कना अब भी आता है

13.बस थोड़ी ही देर में वर्षा का जोर धीमा हो गया , हवा की गति भी थम-सी गयी | बादलों का कड़कना रुक गया और वे छंट गये तथा आसमान में तारों के साथ चाँद चमकने लगा |

14.योगेन्द्र मणि गीत / / बिजली का कड़कना गीत ये बिजली का कड़कना आँख मिलना,मिलके झुक जाना ये नाज़ुक लब फड़कना कह न पाना ,यूँ ही रुक जाना हया से सुर्ख कोमल गाल काली ज़ुल्फ क्या कहिये समझते हैं निगाहों की ज़ुबां को आप चुप रहिऐ ।

15.योगेन्द्र मणि गीत / / बिजली का कड़कना गीत ये बिजली का कड़कना आँख मिलना,मिलके झुक जाना ये नाज़ुक लब फड़कना कह न पाना ,यूँ ही रुक जाना हया से सुर्ख कोमल गाल काली ज़ुल्फ क्या कहिये समझते हैं निगाहों की ज़ुबां को आप चुप रहिऐ ।

16.सोच रहा हु कि सोच की स्याही में लिख डालूं सब ख्याल मन के पर दिखता है तो सिर्फ अँधेरा और बीच बीच में बिजली का कड़कना खिड़की खोल के देखा छम छम बारिश की बूँदें खिड़की की सिलो पे नाच रही थीं अरे , यह क्या!

17.पृथ्वी के शेषनाग के फन पर रखे होने , बारिश और बिजली का कड़कना इंद्र के कारण है , भूकंप की मालिक एक देवी है , बीमारियों के कारण प्रेत और पिशाच हैं , इस तरह के अंधविश्वासों को प्राग्वैज्ञानिक या धार्मिक अंधविश्वास कहा जा सकता है।

18.वायुमंडल के अनेक दृश्य , जैसे इंद्रधनुष , बिजली का चमकना और कड़कना , उत्तर ध्रुवीय ज्योति ( aurora borealis ) , दक्षिण ध्रुवीय ज्योति ( aurora australis ) प्रभामंडल ( halo ) , किरीट ( corona ) , मरीचिका इत्यादि प्रकाश या विद्युत के कारण उत्पन्न होते हैं।

19.आकाश का नीला दिखाई देना , उगते व डूबते सूर्य का लाल दिखाई देना, बादल में बिजली चमकना व कड़कना, समुद्र में ज्वार-भाटा आना, वर्षा के बाद इन्द्रधनुष का दिखायी देना आदि प्राकृतिक घटनाओं को जानने के लिए प्रारम्भ से मानव उत्सुक रहा होगा तथा इनकी खोज अपनी मात्र बुद्धि एवं तर्कपूर्ण अनुमान से ही, बल्कि प्रयोगों द्वारा करता रहा होगा।

20.मगर माबूदे - बेदारी ! कहीं फितरत बदलती है धुएं को गर्म होने दे , भड़कना अब भी आता है मेरी जानिब से इतमीनान रख , आतिशनवा रहबर जरा बादल तो टकराए , कड़कना अब भी आता है जरा मौके की तलाश है , ठीक समय ठीक अवसर , ठीक भूमि मिल जाए , ठीक सत्संग मिल जाए , तो अभी राख गिर जाए और अंगारा फिर प्रकट हो जाए।

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