| 11. | “ अपने ग़म का मुझे कहां ग़म है
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| 12. | “ अपने ग़म का मुझे कहां ग़म है
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| 13. | राग दुनिया को नहीं ग़म का सुनाना चाहिये
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| 14. | मुझे ग़म देने वाले तू खुशी को तरसे
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| 15. | आँखों पे धीरे धीरे उतर के पुराने ग़म
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| 16. | मालूम न था ग़म का गायेंगे हम तराना
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| 17. | इक पुराने ग़म से हम निकले ही थे
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| 18. | खुशी ही काम आती है ना ग़म ही
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| 19. | ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे , महफ़िलों-महफ़िलों गुनगुनाते रहे
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| 20. | विजय तिवारी “किसलय” एक ख़ुशी- एक ग़म प्रो .
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