जब कस्बे के बाहर शहर की जल-निकास प्रणाली और पश्चिमी यमुना की नहर के मिलने से वहां दलदल हो गई।
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इसलिये , जल की अधिकता, अपर्याप्त जल-निकास, भारी मल्च (गीली घास), अति- और अत्यधिक छाँव रोग के विकास में सहायता करते हैं.
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इसलिये , जल की अधिकता, अपर्याप्त जल-निकास, भारी मल्च (गीली घास), अति-परागण और अत्यधिक छाँव रोग के विकास में सहायता करते हैं.
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सिंधु घाटी की सभ्यता ( जिसके चिन्ह सरस्वती नदी के लुप्त मार्ग से सब जगह बिखरे हैं) नियोजित नगरों के लिए-सड़कें, मार्ग, नालियॉं, जल-निकास, मंदिर, भंडार और निवास के सुख-साधनों के लिए प्रसिद्ध हैं।
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अधिप्लव-मार्ग दाहिने किनारे पर स्थित है , और इसमें १४ प्रखंडित निकास द्वार हैं जिनका प्रति सेकेंड जल-निकास दर ६२, २००घनमीटर है (बाढ़ के अभी तक के लिखित प्रमाणों के उच्चतम स्तर से दोगुना)।
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इसके बाद साढ़े चार हजार साल पुरानी हड़प्पा की सभ्यता उद्घाटित हुई , जिन्हें कांसे- मिश्र धातु की तकनीक के अलावा सिंचाई, सड़क, जल-निकास, पकी ईटों, मिट्टी के बर्तन, क्षेत्रफल और आयतन के नाप का गणितीय ज्ञान था।
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जमीन का भूगोल तथा भू-रचना , मिट्टी की स्थिति, उसकी संरचना, उसकी बुनावट, जल-निकास, कीटों के परस्पर संबंध, धूप कितनी आती है, उपयोग किए गए बीजों की किस्म, खेती का तरीका, आदि असंख्य बातें हैं जिन पर विचार करना पड़ेगा।
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अन्तर्राज्यिक गोवर्धन जलनिकास प्रणाली का प्रचालनभारत सरकार ने सितम्वर , १९७७ में विद्यमान अन्तर्राज्यिक जल-निकास प्रणाली कासंतोष-~ जनक ढंग से प्रचालन सुनिश्चित करने तथा इस प्रणाली के नियंत्रण संरचना तथाअन्य उपस्करों के उपयुक्त नियमन के सम्वन्ध में निर्णय लेने के लिये एक समितिगठित की थी.
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अन्तर्राज्यिक गोवर्धन जलनिकास प्रणाली का प्रचालनभारत सरकार ने सितम्वर , १९७७ में विद्यमान अन्तर्राज्यिक जल-निकास प्रणाली कासंतोष-~ जनक ढंग से प्रचालन सुनिश्चित करने तथा इस प्रणाली के नियंत्रण संरचना तथाअन्य उपस्करों के उपयुक्त नियमन के सम्वन्ध में निर्णय लेने के लिये एक समितिगठित की थी.
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सिंधु घाटी की सभ् यता ( जिसके चिन् ह सरस् वती नदी के लुप् त मार्ग से सब जगह बिखरे हैं ) नियोजित नगरों के लिए-सड़कें , मार्ग , नालियॉं , जल-निकास , मंदिर , भंडार और निवास के सुख-साधनों के लिए प्रसिद्ध हैं।