| 11. | क्यों पुरबा का झोंका कोई , अकस्मात झंझा बन जाता
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| 12. | 22 जून 2008 को तड़ित झंझा »
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| 13. | झंझा है दिग्भ्रान्त रात की मूर्च्छा गहरी ,
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| 14. | तड़ित झंझा बुरी बात यह काला कर क्षितिज बादलों .
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| 15. | सुबह तड़ित झंझा पूर्व पहले से ही होना है .
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| 16. | प्रबल झंझा के थपेड़ों से निरंतर तू लड़े जा
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| 17. | पंथ हर पग पर स्वयं ही सैंकड़ो झंझा उगाये
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| 18. | कभी डालियों को मरोड़ झंझा की दारुण गति से
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| 19. | निर्मल झंझा के झोंकों से प्रवाहित ,
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| 20. | झंझा / विमल राजस्थानी (कविता संग्रह)
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