| 11. | सर्प - भ्रम की निवृत्ति नहीं हो सकती।
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| 12. | वैराग्य से चित्त-विभ्रम की निवृत्ति होने लगती है।
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| 13. | निवृत्ति को जानै नहीं , प्रवृत्ति प्रपंचहि मांहि।।
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| 14. | ऊपर कहा जा चुका है कि घृणा निवृत्ति
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| 15. | अचाह-पद का अर्थ है - सहज निवृत्ति ।
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| 16. | के बाद सन २००० में स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति
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| 17. | कर्म करते-करते स्वत : उसकी निवृत्ति हो जाती है।
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| 18. | जाने प्रवृत्ति निवृत्ति बन्धन मोक्ष कार्य अकार्य भी॥
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| 19. | वासना निवृत्ति के लिए ध्यान साधना ) -
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| 20. | निवृत्ति मार्गियों के आराध्य भगवान महावीर हुए हैं।
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