पर शीर्षक का क्या; यह मान लें कि एक असामाजिक ब्लॉगर शीर्षक में तो अपना न्यून कोण ही दर्शायेगा ! आप तो लेख पढ़ें: [आगे पढ़ें...]
12.
न्यून कोण पर मुड़ी हुई नली के रूप का एक यंत्र होता है , जिससे तरल पदार्थ एक पात्र से दूसरे में तथा नीचे स्तर में पहुँचाया जाता है।
13.
( 2) दोनों व्यतिकरणशील तरंगों के अग्रसर होने की दिशा प्राय: समान होनी चाहिए, अर्थात् तरंगाग्र (wave fronts) का एक दूसरे के साथ अति न्यून कोण बनाना आवश्यक है।
14.
परंतु चित्र में वृत्त वृत्त नहीं रहता , न सभी समांतर रेखाएँ समांतर रहती है, न समकोण समकोण ही, बल्कि कभी समकोण न्यून कोण दिखाई देता है, कभी अधिक कोण;
15.
परंतु चित्र में वृत्त वृत्त नहीं रहता , न सभी समांतर रेखाएँ समांतर रहती है, न समकोण समकोण ही, बल्कि कभी समकोण न्यून कोण दिखाई देता है, कभी अधिक कोण;
16.
इंजन है , जो आम तौर पर या तो सम कोण पर या एक दूसरे के न्यून कोण पर सेट होता है, जहां सभी छह पिस्टन एक अराल-धुरी को चलाते हैं.
17.
दाबलंधिका वा साइफन ( Siphon या Syphon) न्यून कोण पर मुड़ी हुई नली के रूप का एक यंत्र होता है, जिससे तरल पदार्थ एक पात्र से दूसरे में तथा नीचे स्तर में पहुँचाया जाता है।
18.
आंखों में पड़ता चमकता प्रकाश आंखों के कंट्रास्ट को हानि पहुंचा सकता है और असुरक्षित ड्राइविंग स्थितियों को उत्पन्न कर सकता है , जो काफी कुछ गंदे विंडशील्ड पर न्यून कोण से पड़ते सूरज के प्रकाश जैसा होता है या सामने आती कार की सीधी रौशनी के समान होता है.”
19.
आंखों में पड़ता चमकता प्रकाश आंखों के कंट्रास्ट को हानि पहुंचा सकता है और असुरक्षित ड्राइविंग स्थितियों को उत्पन्न कर सकता है , जो काफी कुछ गंदे विंडशील्ड पर न्यून कोण से पड़ते सूरज के प्रकाश जैसा होता है या सामने आती कार की सीधी रौशनी के समान होता है.”
20.
वृहत्संहिता में आचार्य वराह ने नारद का हवाला देते हुए यह विश्वास के साथ कहा है कि “ यामित्र ” आकाश गंगा के अट्ठाईसवें ( वर्त्तमान ) सौर मंडल क़ी ग्रह संचरण ऊर्जा को संतुलित , नियमित एवं परिष्कृत करने के लिये शेष ब्रह्माण्ड से जो स्थिति के अनुसार धनात्मक या ऋणात्मक ऊर्जा को नित्य संग्रह किया करता है वही मकराकृत पिंड अंतरिक्ष में अपने पाल्य परिवार से पृथक अवनत ज्योति-प्रक्षेप वाला न्यून कोण बनाता हुआ इन सब पर सदा चौकन्नी दृष्टि गडाए रहता है .