| 11. | प्रतिफलन यह चपल भ्रू नर्तन तुम्
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| 12. | अबॉर्शन कर अपने कुत्तों को खिला देता था कन्या भ्रू . ..
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| 13. | “छन भवन छन बाहर बिलोकति पंथ भ्रू पर पानि कै।”
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| 14. | मदन को चाप सदृश भ्रू चाप।
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| 15. | तेरी नयन भ्रू का ले सहारा
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| 16. | समझ लेना ' ना' को भी बस, लक्ष्य कर भ्रू भंग कुंचित।
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| 17. | बृह्माण्डी द्वार भ्रू मध्य यानी भोंहों के बीच होता है ।
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| 18. | वह पति के भ्रू संकेतो पर नहीं उठती बैठती है ‚
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| 19. | सोइ प्रभु भ्रू विलास खगराजा , नाच नटी इव सहित समाजा।
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| 20. | तेरे भ्रू भंगों में कैसे , बिंधवा दूं निज मृग सा मन।।
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