| 11. | 3 . मरु मेला , जैसलमेर , राजस्थान।
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| 12. | 3 . मरु मेला , जैसलमेर , राजस्थान।
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| 13. | हिय को हरष मरु धरनि को नीर भो ,
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| 14. | दिनमणि-किरण-दग्ध सिकता की व्यथा जाननी चाही मरु से ,
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| 15. | मरु की बेटियों की झोली में आठ स्वर्ण
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| 16. | व्यर्थ मुझे दौड़ाती मरु में मृगजल बनकर मधुशाला॥३०॥
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| 17. | ऐनक लगाय मरु - मरु के निहार जात ,
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| 18. | ऐनक लगाय मरु - मरु के निहार जात ,
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| 19. | मरु सरीखे दिल में प्रेम का अंकुरण |
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| 20. | जैसे धर्मयुग , हंस, मरु गुलशन, मरु चक्र, सौगात, राजस्थान
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