| 11. | विरहिन की व्यथा मेह की बूँद झरी बदरी ,
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| 12. | तुलसी तहाँ न जाइए , कंचन बरसै मेह.
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| 13. | बिना ऋतु पेड़ नहीं फलते , मांगनेसे मेह नही मिलता
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| 14. | हमेशा गिरयान , बे इश्क आं मेह |
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| 15. | इस साल दस अंगुल भी मेह नहीं हु आ .
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| 16. | 620 गअु-संतन के कारणे हर वरसावै मेह
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| 17. | मेह से पानी बरसने का करिश्मा ,
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| 18. | मेह और उसके कुछ रं ग . .
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| 19. | अब तो पाया है स्नेह मेह भर
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| 20. | आकाश लाल हो तो मेह खूब होगा।
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