| 11. | काशीसादि तेल : व्रण शोधक तथा रोपण है।
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| 12. | काशीसादि तेल : व्रण शोधक तथा रोपण है।
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| 13. | में भी ऐसे ही व्रण बन जाते हैं।
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| 14. | तन में , मन में, व्रण में, प्रण में
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| 15. | व्रण निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं :
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| 16. | जीवाणुओं के कारण आंत्रों में व्रण बन जाते है।
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| 17. | अस्वस्थावस्था में यह व्रण के भरने में बाधक है।
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| 18. | व्रण , शरीर के किसी भाग में मवाद भर जाना
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| 19. | [ 4] व्रण हलांकि कोई भी रूप ले सकता है।
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| 20. | 26 : व्रण ( घावों ) पर
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