| 11. | रणित शृंग हुए बहु साथ ही।
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| 12. | हिमालय का हर शृंग पूजनीय है।
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| 13. | इसके ऊपर नीचे दो शृंग (
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| 14. | कि फाल्गुन की पूर्णिमा पर लोग शृंग यानी आजकल की
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| 15. | हिमाद्रि तुंग शृंग से -जयशंकर प्रसाद
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| 16. | तुम तुंग - हिमालय - शृंग
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| 17. | रुक गया स्वर शृंग विषाण का
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| 18. | शृंगार रस के शृंग भी उद्दीपन , आलम्बन, विभाव, अनुभाव चार हैं।
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| 19. | कणित मंजु बिषाण हुए कई , रणित शृंग हुए बहु साथ ही।
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| 20. | है , और वह शृंग भी गेरू के रंग में रंगा हुआ है।
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