| 11. | वह ससीम है , पराश्रित है, परतंत्र है, ईश्वराधीन है।
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| 12. | प्रत्येक ससीम के भीतर गम्भीर असीम का वास है।
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| 13. | वह ससीम है , पराश्रित है, परतंत्र है, ईश्वराधीन है।
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| 14. | और ससीम का द्वंद्व दर्शन है;
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| 15. | अर्थात ब्रज ससीम नहीं , असीम है।
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| 16. | ससीम व नि : सीम का विस्तार एकाकार हो गया।
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| 17. | उद्धाटित करे और वह प्रक्रिया ज्ञात करे , जिसके द्वारा ससीम जीवात्मा
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| 18. | बोले , ‘ वह असीम है लेकिन जीव मात्र तो ससीम है।
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| 19. | उसी में ससीम समाया हुआ है अर्थात् वह सब में व्याप्त है।
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| 20. | वह ससीम है , पराश्रित है , परतंत्र है , ईश्वराधीन है।
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