| 11. | कवि सुरेन्द्र स्निग्ध अपनी प्रेयसी से कहते हैं-
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| 12. | आलोक स्निग्ध भर दिखा गयी पथ जो उज्ज्वल;
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| 13. | किन्हीं बड़ी होती बच्चियों के स्निग्ध होठों पर .
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| 14. | मुख प्रसन्न , आवाज स्निग्ध व गंभीर होती है।
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| 15. | स्निग्ध पंखुड़ियों वाले पुष्प समूह समूचे अमलतास को
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| 16. | स्निग्ध कर दी दृष्टि मेरी दीप से . .
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| 17. | मत सँजो यह स्निग्ध सपनों का अलस सोना-
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| 18. | गर्म क्षेत्रों में इसकी खेती इसके स्निग्ध ( तैलीय)
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| 19. | उतरा ज़मीन पे , समा गई स्निग्ध चांदनी मुझमें।।
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| 20. | प्रेयसी के अलक से आयी ज्यों स्निग्ध गन्ध ,
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