| 21. | अंगद को भी अपना पैर ज़माना पड़ता है
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| 22. | अंगद राजभवन का द्वार तोड़कर लौट जाता है।
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| 23. | अंगद के पैर की तरह हिलाये न हिले।
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| 24. | लेकिन अंगद धरि धीरज जटायु हाल सुनाये ।।
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| 25. | मगर अंगद तो छत ही ले उड़े थे।
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| 26. | वगरना हर जगह बौने कभी अंगद नहीं होते
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| 27. | हे अंगद ! हे लंकापति विभीषण ! सुनो।
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| 28. | उस समय अंगद सिंह भी उनके साथ थे।
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| 29. | अंगद जी का दूतत्व / तुलसीदास/ पृष्ठ 3
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| 30. | तब अंगद उठकर सिर नवाकर , नेत्रोंमें जल भरकर
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