हस्तक्षेप के पूर्व और बादमें देख-रेख कर्त्ता तथा बच्चे के व्यवहारों का वैसे ही मूल्यांकन किया जाता है जैसे बच्चे के तंत्रिका तथा अंतःस्त्रावी तंत्र सम्बन्धी कार्यों के नियन्त्रण में होता है।
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जो ब्यक्ति हमेशा मन से परेशान रहता है अथवा जिसमे आत्मविश्वास की कमी होती है या जो सदैव राग-द्वेशादी नकारात्मक मनोभावों से ग्रस्त रहता है उसको विभिन्न प्रकार के रोग जकड लेते है | नकारात्मक सोच अथवा मनोदशा की अवस्था में हमारे शरीर की अंतःस्त्रावी ग्रंथियों से जिन हारमोंस का उत्सर्जन होता है उनका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है | यही अनुपयोगी हार्मोंस या घातक रासायन ही हमारे जोड़ों में जमा होकर शरीर के विभिन्न अंगों की गति को प्रभावित करते है |