[ 63] यह सिद्धांत दिया गया है कि खुली श्रृंखला वाला ऑक्सीटोसिन (ऑक्सीटॉसिन का क्षीण रूप) एक स्वतन्त्र मूलक अपमार्जक के रूप में भी कार्य कर सकता है (एक स्वतन्त्र मूलक को एक इलेक्ट्रॉन देकर);
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ये सूक्ष्मजीव अपमार्जक हैं क्योंकि य जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट् टी ; भूमि में चले जाते हैं तथा पौधों द्वारा पुन : उपयोग में लाए जाते हैं।
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जिस हिंदु का पैर भी अगर मैले पर चला जाता है तो पहने हुए सारे कपड़े को अपमार्जक में धोने के बाद खुद स्नान करता है वो हिंदु नापाक और जो मुस्लिम जहाँ-तहाँ से ढेले को उठाकर अपना लिंग पॊछ लेते हैं वो पाक… . !!क्या ये न्याय है..??
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जो हिंदु पूरे तन को सिर्फ पानी से ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के अपमार्जक का उपयोग करके गंगा जल छिड़ककर अपने मन को गंदे विचारों से दूर रखकर उसे भगवान की भक्ति से भरकर अपने तन के साथ-साथ अपने मन को भी शुद्ध रखने पर ध्यान देते हैं . .
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जिस हिंदु का पैर भी अगर मैले पर चला जाता है तो पहने हुए सारे कपड़े को अपमार्जक में धोने के बाद खुद स्नान करता है वो हिंदु नापाक और जो मुस्लिम जहाँ-तहाँ से ढेले को उठाकर अपना लिंग पॊछ लेते हैं वो पाक … . !! क्या ये न्याय है ..
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वे बहुत ऊंची और शान्त उड़ानें भरते थे धरती पर मंडराती रहती थी उनकी अपमार्जक छाया दुनिया भर के दरिन्दों-परिन्दों में उनकी छवि सबसे घिनौनी थी किसी को भी डरा सकते थे उनके झुर्रीदार चेहरे वे रक्त सूंघ सकते थे नोच सकते थे कितनी ही मोटी खाल मांस ही नहीं हडि्डयां तक तोड़कर वे निगल जाते थे
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मुझे बस ये पूछना है कि क्या शुद्धता का पैमाना सिर्फ लिंग तक ही सीमित है , बाकि अंग से कोई लेना-देना नहीं…?जो हिंदु पूरे तन को सिर्फ पानी से ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के अपमार्जक का उपयोग करके गंगा जल छिड़ककर अपने मन को गंदे विचारों से दूर रखकर उसे भगवान की भक्ति से भरकर अपने तन के साथ-साथ अपने मन को भी शुद्ध रखने पर ध्यान देते हैं..
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कवक जो एक प्रकार के पौधे हैं , अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं और जिनका सबसे बडा लाभ संसार मे अपमार्जक के रूप मे कार्य करना है, प्रोटोज़ोआ जो एक एककोशिकीय जीव है, जिसकी कोशिकायें युकैरियोटिक प्रकार की होती हैं और साधारण सूक्ष्मदर्शी यंत्र से आसानी से देखे जा सकता है, आर्किया या आर्किबैक्टीरिया जो अपने सरल रूप में बैक्टीरिया जैसे ही होते हैं पर उनकी कोशीय संरचना काफ़ी अलग होती है।
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कवक जो एक प्रकार के पौधे हैं , अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं और जिनका सबसे बडा लाभ संसार मे अपमार्जक के रूप मे कार्य करना है, प्रोटोज़ोआ जो एक एककोशिकीय जीव है, जिसकी कोशिकायें युकैरियोटिक प्रकार की होती हैं और साधारण सूक्ष्मदर्शी यंत्र से आसानी से देखे जा सकता है, आर्किया या आर्किबैक्टीरिया जो अपने सरल रूप में बैक्टीरिया जैसे ही होते हैं पर उनकी कोशीय संरचना काफ़ी अलग होती है।