| 21. | कालिदास ने इसे ‘शरावती ' नाम से अभिहित किया है।
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| 22. | इसलिए उसे कौस्तुभ नाम से यहाँ अभिहित करने की आवश्यकतानहीं
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| 23. | इसे चैत्रोत्सव नाम से भी अभिहित किया गया है ।
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| 24. | इसे ' ख ' से अभिहित किया जा सकता है।
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| 25. | विष्णु और महेश आदि अनेक नाम-रूपों में अभिहित की गयीं।
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| 26. | इस भाग को ' सृजन के विविध आयाम' नाम से अभिहित
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| 27. | संज्ञा से अभिहित करता है ।
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| 28. | इसे भारत की जीवन पद्घति कहकर अभिहित किया गया है।
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| 29. | यही तृतीय लिंगपरामर्श या परामर्श शब्द से अभिहित होता है।
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| 30. | से अभिहित किया गया है ।
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