अत : उन्होंने 6 अप्रैल , 2001 को परलोक सिधारने से पूर्व देश के नीतिविदों और राजनेताओं को सावधान किया था कि '' कृषि क्षेत्र की देश की राष्ट्रीय आय में भागीदारी बढ़ाने के लिये गिरते पूंजीनिवेश को रोकना होगा ताकि खेती अलाभप्रद बनकर ही न रह जाये तथा वैश्वीकरण की आंधी में कहीं चौपट ही न हो जाये ” ।