| 21. | और गीता में यह निश्चित किया गया है कि बंधुप्रेम की अपेक्षा क्षात्रधर्म प्रबल है।
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| 22. | सभी लोग हिंसा का त्याग कर दें तो फिर क्षात्रधर्म रहता ही कहाँ है ?
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| 23. | उन्होंने अपने शिष्यों तथा अपनी संतानको भी सदैव क्षात्रधर्म साधना की ही सीख दी ।
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| 24. | और यदि क्षात्रधर्म नष्ट हो जाता है तो जनता का कोई त्राता नहीं रहेगा ।
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| 25. | कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।
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| 26. | कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।
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| 27. | कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।
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| 28. | कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।”
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| 29. | कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।”
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| 30. | ! ! क्षात्रधर्म !! ” क्षति से जो समाज की रक्षा करता है ; वही क्षत्रिय कहलाता है ..
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