वृहद या प्रमुख लार ग्रन्थियाँ - हमारी मुख गुहिका में लार की अधिकांश मात्रा का स्रावण तीन जोड़ी बड़ी लार ग्रन्थियों के द्वारा होता है।
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अगर सिस्ट मौजूद है तो एक ट्यूब या शंट को गुहिका के अंदर रख दिया जाता है ताकि सिस्ट के द्रव की निकासी की जा सके।
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अगर सिस्ट मौजूद है तो एक ट्यूब या शंट को गुहिका के अंदर रख दिया जाता है ताकि सिस्ट के द्रव की निकासी की जा सके।
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इसमें कुछ ऐसे भी गुण थे जो वर्तमान मनुष्य के नहीं मिलते , जैसे कपालगुहा के आयतन का 1,600 घन सेंमीदृ (मनुष्य से अधिक) होना और चर्वण दंत गुहिका का बहुत बड़ा होना।
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इसमें कुछ ऐसे भी गुण थे जो वर्तमान मनुष्य के नहीं मिलते , जैसे कपालगुहा के आयतन का 1,600 घन सेंमीदृ (मनुष्य से अधिक) होना और चर्वण दंत गुहिका का बहुत बड़ा होना।
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इस दिशा में हाल ही में अध्ययन , हुआ है जो दिखाता है कि कब्ज और / या दस्त अंतर्निहित स्थिति के भिन्न भिन्न अभिव्यक्तियाँ प्रतीत होती हैं जो कि बृहदान्त्र की गुहिका, जिसमे द्रव्य भरा होता है, में विष्ठा संबंधी तत्वों को रोके रखने की शक्ति का निर्माण करता है.
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इण्डस सिंक्रोट्रॉन उपादेयता प्रभाग त्वरक चुंबक प्रौद्योगिकी प्रभाग त्वरक नियंत्रण एवं किरणपुंज नैदानिकी प्रभाग रेडियो आवृत्ति प्रणाली प्रभाग पदार्थ एवं प्रगत त्वरक विज्ञान प्रभाग परा उच्च निर्वात प्रौद्योगिकी प्रभाग विद्युत आपूर्ति एवं औद्योगिक त्वणरक प्रभाग प्रोटान लाइनेक एवं अतिचालन गुहिका प्रभाग त्वरक घटक अभिकल्पन एवं विनिर्माण अनुभाग स्पंदित उच्च शक्ति सूक्ष्मतरंग अनुभाग क्रायो-अभियांत्रिकी एवं क्रायो-माड्यूल विकास अनुभाग अवसंरचना
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असाध्यता के नैदानिक व्यवहार पर अनेक कारकों का प्रभाव पड़ता है , जिनमें प्लुरल गुहिका की सतत मेसोथेलियल सतह, जो अपपर्णित कोशिकाओं के माध्यम से स्थानीय मेटास्टैसिस का समर्थन करती है, अंतःस्थ ऊतक व प्लुरल गुहिका के भीतर स्थित अन्य अंगों तक आक्रमण, तथा एस्बेस्टस से संपर्क और रोग के विकास के बीच अत्यधिक लंबा विलंबिता काल शामिल हैं.
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असाध्यता के नैदानिक व्यवहार पर अनेक कारकों का प्रभाव पड़ता है , जिनमें प्लुरल गुहिका की सतत मेसोथेलियल सतह, जो अपपर्णित कोशिकाओं के माध्यम से स्थानीय मेटास्टैसिस का समर्थन करती है, अंतःस्थ ऊतक व प्लुरल गुहिका के भीतर स्थित अन्य अंगों तक आक्रमण, तथा एस्बेस्टस से संपर्क और रोग के विकास के बीच अत्यधिक लंबा विलंबिता काल शामिल हैं.
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गांठ ( Cyst ) : - छोटी थैली जैसे वर्धन या रेशेदार उतक ( Fabrous Tissue ) में गुहिका ( Cavity ) बन जाती है और उसमे अर्ध-ठोस पदार्थ भर जाता है | यह हानिरहित वर्धन है और आमतौर से त्वचा पर या प्रजनन अंगों से होता है | दर्द के साथ छोटी सी सुजन पैदा होती है , बुखार हो जाता है , लेकिन इससे आगे यह नहीं फैलती | इलाज करने के बाद यह वर्धन दोबारा नहीं होता |