अल् सर , जिसे अक्सर आमाशय का अल् सर , पेप्टिक अल् सर या गैस्ट्रिक अल् सर कहते हैं , आपके आमाशय या छोटी आँत के ऊपरी हिस्से में फोड़े या घाव जैसे होते हैं।
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लाभ : इस आसन से घुटने, ब्लडर, किडनी, छोटी आँत, लीवर, छाती, लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे कि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।
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जब पित्ताशय , यकृत, एवं छोटी आँत से आधिक्य पित्त स्रावित एवं वहाँ जमा होता है तो इसकी परिणति फुन्सी, त्वचा के जलन, मुँहासे, चिरकालिक ज्वर के दौरे, पैत्तिक उल्टी, मिचली एवं पीलिया के रूप में होती है।
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जैसे लिव इन रिलेशनशिप . .. फिर समलैंगिकता ... तुम सब के सब लगते हो डंडा भांजने .... तुम्हें तो कुछ भी नहीं पचता ... बाद हज्मों ... . तुम छोटी आँत वाले .... हिंदी ब्लोग्गेर्स .... देखो इंगरेजी वाले ..
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उष्ट्रास से घुटने , ब्लडर , किडनी , छोटी आँत , लीवर , छाती , लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है , जिससे क ि उपर्युक्त अँग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।
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उष्ट्रास से घुटने , ब्लडर , किडनी , छोटी आँत , लीवर , छाती , लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है , जिससे क ि उपर्युक्त अँग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।
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लाभ : इस आसन से घुटने , ब्लडर , किडनी , छोटी आँत , लीवर , छाती , लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है , जिससे क ि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।
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लाभ : इस आसन से घुटने , ब्लडर , किडनी , छोटी आँत , लीवर , छाती , लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है , जिससे क ि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।
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इसका लाभ : इस आसन से घुटने , ब्लडर , किडनी , छोटी आँत , लीवर , छाती , लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है , जिससे क ि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।
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इसका लाभ : इस आसन से घुटने , ब्लडर , किडनी , छोटी आँत , लीवर , छाती , लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है , जिससे क ि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।