फरवरी 1996 में विश्व कप से ठीक पहले मुरलीधरन को हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रोफ़ेसर रविन्द्र गुणेतिलके के सुपरविजन के तहत जैव रासायनिक विश्लेषण से गुजरना पड़ा , जिन्होंने मुरलीधरन की बांह में एक जन्मजात दोष का उद्धरण देते हुए परीक्षण की गयी स्थितियों में उनकी शैली को वैध करार दिया जो उन्हें इसे पूरी तरह से सीधा करने में अक्षम बनाता है, लेकिन बांह के पूरी तरह से सीधा होने का आभास देता है.