हि न्दी में फ़ारसी से आया तंग शब्द खूब प्रचलित है और इसके कई मुहारवरेदार प्रयोग मिलते हैं जिससे भाषा में रवानी और कहन में अनोखापन पैदा हो जाता है जैसे हाथ तंग होना यानी आर्थिक कष्ट होना या माली हालत ठीक न रहना।
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विजाइनिसमस या योनि का तंग होना या फिर योनि का अत्यधिक संकुचन होना , मैथुन के समय योनि का इतना ज्यादा संकुचित होने की अवस्था है कि संभोग या तो हो ही नही पाता या फिर होता है तो अत्यधिक दर्द युक्त होता है।
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उपयुक्त कारणों में यदि कोई भी कारण न हो तो भी स्त्रियों का किसी रोग से ग्रस्त होना अथवा प्राकृतिक कारणों से भी प्रसव में कठिनाई आती है जैसे- मां के शरीर के शारीरिक जननांग में किसी प्राकृतिक खराबी का होना , हड्डी का तंग होना , बच्चेदानी का आकार या उसका मुंह टेढ़ा होना , किसी कारण या दुर्घटनावश पेट में बच्चे की स्थिति सही न रहना , मां का मधुमेह , यौन रोग , टी . बी . , रक्तचाप , हृदय रोग आदि।
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कभी अंग्रेजी में हाथ तंग होना वरदान भी साबित हो सकता है . ..एक बार मक्खन अपने परम सखा ढक्कन के साथ विदेश घूमने गया...अब मक्खन ने विदेश में भी खाली सड़क के किनारे वही काम कर दिया जो हमारे देश में सुसु कुमार कहीं भी करने से नहीं घबराते...सड़क को ओपन टायलेट समझने वाले मक्खन पर एक सार्जेंट की नज़र पढ़ गई...सार्जेंट ने मक्खन के पास आकर जमकर अंग्रेजी में हड़काना शुरू किया...मक्खन को कुछ समझ आया नहीं...लेकिन मक्खन के दिमाग की बत्ती जली और उसने पलटवार किया...
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शौक़ हर रंग रक़ीब-ए-सर-ओ-सामाँ निकला क़ैस तस्वीर के परदे में भी उअरयाँ निकला ज़ख़्म ने दाद न दी तंगी-ए-दिल की यारब तीर भी सीना-ए-बिस्मिल से पुरअफ़शाँ निकला बू-ए-गुल , नाला-ए-दिल, दूद-ए-चिराग़-ए-महफ़िल जो तेरी बज़्म से निकला सो परेशाँ निकला दिल-ए-हसरत ज़दा था, मादा-ए-लज़्ज़त-ए-दर्द काम यारों का बक़द्र-ए-लब-ओ-दनदाँ निकला ऎ नोआमूज़-ए-फ़ना, हिम्मत-ए-दुश्वार पसंद सख़्त मुश्किल है के ये काम भी आसाँ निकला दिल में फिर गिरये ने इक शोर उठाया ग़ालिब आह जो क़तरा न निकला था सो तूफ़ाँ निकला कठिन शब्दों के अर्थ- रक़ीब-ए-सर-ओ-सामाँ-साज़ोसामान का दुश्मन क़ैस-मजनू. उरयाँ-नंगा.तंगी-ए-दिल-दिल का तंग होना.