| 21. | दरज़ी बार-बार उसकी ओर चेतावनी और अभ्यर्थना-भरी निगाहों से देख लेता था , किन्तु कटिंग-मास्टर ने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया ।
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| 22. | “और तब मैंने अपने से कहा कि और जगह दरज़ी तलाश करने की क्या ज़रूरत है , जब इस मकान में ही एक मौजूद है ।
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| 23. | दरज़ी बड़े ध्यान से अपनी नोटबुक पर आँखें गड़ाए था , मानो वह उस पर दर्ज किए माप के सम्बन्ध में विचार कर रहा हो ।
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| 24. | बेचारा दरज़ी इस यातना को अधिक सहन न कर सका , बीच में ही टोककर उसने पूछा, “कब तक आपका सूट तैयार हो जाना चाहिए, हुज़ूर?”
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| 25. | पेश्तर इसके कि रोज़मर्रा का वह झगड़ा आगे बढ़ पाता , दरज़ी की कैंची ने चेपक के उत्तेजित व्याख्यान को बीच मैं ही काट डाला ।
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| 26. | पेश्तर इसके कि रोज़मर्रा का वह झगड़ा आगे बढ़ पाता , दरज़ी की कैंची ने चेपक के उत्तेजित व्याख्यान को बीच मैं ही काट डाला ।
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| 27. | रोज़ इतने डायरेक्टर पैदा होते रहते हैं , एक सच्चा दिबाकर बनर्जी पैदा होता है, बाकी के कच्चे दरज़ी जाने क्या सिलाई सीलते रहते हैं, क्या वज़ह होती है?
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| 28. | शायद गरमी और तनाव से भरा दुकान का वातावरण भी कुछ ऐसा था कि दरज़ी जैसा खुशमिज़ाज व्यक्ति भी उसकी टिप्पणी सुनते ही तैश में आ गया ।
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| 29. | “हिश् . ..!” भयभीत स्वर में दरज़ी फुसफुसाया और अँगूठे से रसोई की ओर इशारा किया, जहाँ माँ अब भी उस बातूनी पड़ोसिन से बातचीत करने में व्यस्त थीं ।
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| 30. | वह उनके पास से गुज़र गया , सीढ़ियों की तरफ़ जानेवाला दरवाज़ा खोला और इससे पेश्तर कि दरज़ी कुछ कह पाता, वह बिजली की तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरेने लगा ।
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