| 21. | दास्य और सख्य के प्रति भी उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखलाई।
|
| 22. | शान्त , दास्य , सख्य , वात्सल्य , मधुर-रस उत्तरोत्तर श्रेष्ठ हैं।
|
| 23. | शान्त , दास्य , सख्य , वात्सल्य , मधुर-रस उत्तरोत्तर श्रेष्ठ हैं।
|
| 24. | दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान जी को उदाहरण में लो।
|
| 25. | तुलसीदास ने अपने आराध्य के लिए दास्य भाव से ओतप्रोत ग्रन्थ लिखा।
|
| 26. | दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान जी को उदाहरण में लो।
|
| 27. | शान्त , दास्य, सख्य एवं वात्सल्य-रूप यह प्रेम चार प्रकार का परिगणितकिया जाता है.
|
| 28. | शान्त , दास्य, सख्य एवं वात्सल्य-रूप यह प्रेम चार प्रकार का परिगणितकिया जाता है.
|
| 29. | ऐ भगवन ! भक्तों के प्रति दास्य भाव रखने वाले आपको युधिष्ठिर ने भीम
|
| 30. | अर्चन , वंदन, दास्य, सख्य और आत्म निवेदन ये नौ बातें ली गई हैं।
|