भगवान नियम से सुबह और श्याम धर्म उपदेश दिया करते थे , यहीं घटता है गुरू और शिष् य का मिलन , सत्य के संग होना।
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कानड़- ! -स्थानीय हाजी मैदान पर गुरुवार से तुलसी विवाह व एकादशी व्रत उद्यापन के दौरान श्रीमद भागवत कथा का वाचन करते हुए डॉ. तरुण मुरारी बापू ने धर्म उपदेश दिए।
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सोमवार से आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में पूज्य संत आशाराम बापू की सुपुत्री भारती ने योग वेदांत समिति द्वारा आयोजित भव्य आध्यात्मिक सत्संग में उपस्थित जन समूह को जीवन के सार से अवगत कराते हुए धर्म उपदेश दिए।
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बहुत से लोगों के जो धर्म उपदेश के अगुवा हैं जो समाजों को चलाने वाले हैं समाजों को बरबाद करते हैं उनकी तो यह हाल होती है तो जरा विचार करो कि तुम्हारा क्या होगा ? इन बेचारों का तो यह हुआ अब तुम्हारा ? तुम्हारी तो बड़ी दुर्दशा है।
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“जीवन के किसी एक अंग मात्र को स्पर्श करनेवाला धर्म लोकधर्म नहीं |जो धर्म उपदेश द्वारा न सुधरनेवाले दुष्टों और अत्याचारियों को दुष्टता के लिए छोड़ दे , उनके लिए कोई व्यवस्था न करे , वह लोकधर्म नहीं ,व्यक्तिगत साधना है |”शायद साहित्य, लेखन वगैरह की तरह ज्ञान भी कालजयी होता है.
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“जीवन के किसी एक अंग मात्र को स्पर्श करनेवाला धर्म लोकधर्म नहीं |जो धर्म उपदेश द्वारा न सुधरनेवाले दुष्टों और अत्याचारियों को दुष्टता के लिए छोड़ दे , उनके लिए कोई व्यवस्था न करे , वह लोकधर्म नहीं ,व्यक्तिगत साधना है |” शायद साहित्य, लेखन वगैरह की तरह ज्ञान भी कालजयी होता है.
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इसे बताना सरल नहीं , पर आपके आलेख द्वारा लोकधर्म को सरलता से समझा जा सकता है | बाकी आलेख के विषय, भाषा शैली पे मेरा कुछ कहना तो सूर्य को दिया दिखाने के सामान ही होगा |काश ये बात सभी ज्ञानियों तक पहुंचे की “जो धर्म उपदेश द्वारा न सुधरनेवाले दुष्टों और अत्याचारियों को दुष्टता के लिए छोड़ दे , उनके लिए कोई व्यवस्था न करे , वह लोकधर्म नहीं ,व्यक्तिगत साधना है |”कर्म ,ज्ञान और उपासना इन तीनों से ही लोकधर्म बना है, पर आज उपासना पद्धति को ही धर्म मानने की भयंकर भूल जारी है |