इसके अतिरिक्त हमें यह भी याद रखना चाहिए कि आधारभूतमान्यताओं की नगण्यता हानि नहीं बल्कि लाभ पहुंचाती है , बशर्ते कि जो कुछहम अन्त में प्राप्त करते हैं वह हमारे प्रयोजन के उपयुक्त है.
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यदि आप भूख न लगने के साथ साथ बेचैनी , चिड़चिड़ापन तथा आप अधिक अपराध बोध तथा नगण्यता के विचारों का अनुभव करते हैं- तो निःसंदेह आप गम्भीर मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
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यदि आप भूख न लगने के साथ साथ बेचैनी , चिड़चिड़ापन तथा आप अधिक अपराध बोध तथा नगण्यता के विचारों का अनुभव करते हैं- तो निःसंदेह आप गम्भीर मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
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एक तारों भरा आसमान , जो उसे अगणित ग्रह-नक्षत्रों वाले असीम ब्रह्मांड में अपनी नगण्यता का आभास कराता है , दो स्वयं अपने भीतर महसूस होने वाला विराट नैतिक नियम , जिसे प्रख्यात दार्शनिक कांट मॉरल लॉ कहता है।
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एक पक्ष यह भी है कि आजादी पश्चात् देश में चाणक्य टाईप के दूरदर्शी लोगों की नगण्यता थी जो अंग्रेजों और वैश्विक स्तर की साजिश और षडयंत्र को मात दे पाते जिसके फलस्वरूप आज हमारे रुपयें की कीमत वैश्विक स्तर 56 गुना कम हुईं।
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उनमें बहुत सारी बढ़िया कहानियां , व्यंग्य , निबंध , उपन्यास और कवितायें हैं पर हिंदी का व्यापक स्वरूप देखते हुए उनकी संख्या नगण्य ही कहा जा सकता है इसी नगण्यता का लाभ कुछ ऐसे लेखकों को हुआ जिनकी रचनायें समय के अनुसार अपना प्रभाव खो बैठीं।
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गुम्बद में घंटे की आवाज की तरह - “ मुझे जे पढाएगी जे . .. ! ” उनके लिये उसने पढाएंगे की जगह पढाएगा ही नही पढाएगी का प्रयोग करके अपनी प्रौढता व महत्ता तथा मास्टर जी की नगण्यता व निरीहता की घोषणा बडे विश्वास से करदी थी ।
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क्या इसलिए कि उनका जाना पहचाना विरोध उस कठमुल्लेपन और उस धर्मांधता और उस वैचारिक नगण्यता से रहा है , जो उपनिवेशी पूंजीवाद के साथ उस कौम को निगलने के लिए उत्सुक है, जो यूं भी भारत जैसे सेक्युलर गणतंत्र में एक सवाल और कई पेचीदगियों के घेरे में रहने को विवश की गई है।
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क्यों ? हमें विश्वास है कि यदि वह सोचता तो कारण की नगण्यता से कुंठित हो जाता ; पर वह कई बार उसको बाजार से लौटते हुए , बछड़ों को रँगते हुए अकेली पाकर ठिठका ; पर प्रयत्न कर भी कुछ न कह सका और देखा कि वह एक लापरवाह स्थूल हँसी हँस रही है।
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इस विसंगति का एक प्रमुख आधार वैयाकरणों की पांत में स्त्री की नगण्यता भी है , वैसे इक्की-दुक्की स्त्री वैयाकरण हो कर भी क्या कर सकती हैं जबकि पितृसत्तात्मक सोच सर्वाच्छादी है ? जब पण्डित किशोरीदास वाजपेयी ‘ आत्मा ' के स्त्रीलिंग और ‘ परमात्मा ' के पुलिंग होने का यह तर्क पेश करते हैं तो बात खुलकर सामने आ जाती है।