| 21. | मोहन श्रोत्रिय की एक कविता | अनहद नाद
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| 22. | ‘आहत ' नाद हम तक कंपन के माध्यम से
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| 23. | ‘आहत ' नाद हम तक कंपन के माध्यम से
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| 24. | गगनदुँदुभी बज उठी , नाद हुआ चहुँ ओर
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| 25. | गगनदुँदुभी बज उठी , नाद हुआ चहुँ ओर
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| 26. | नाद ही मार्ग है ब्रह्म तक पहुंचने का।
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| 27. | शंख नाद का अपना एक विशेष महत्व है।
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| 28. | हर थाप पर और ऊंचा होता जाता नाद
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| 29. | मैंने आहुति बन कर देखा | अनहद नाद
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| 30. | यहीं से अनहद- नाद उत्पन्न होता है ।।
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