| 21. | काव्यान्जलि . ..: यह स्वर्ण पंछी था कभी... !
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| 22. | इस तरह दिन धीरे-धीरे पंछी बनकर उड़ते रहे।
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| 23. | क्योंकि उड़ान भरते पंछी ही पहचानते हर कोई
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| 24. | एक धूसर सुरंग , पंछी की पूंछ से ध...
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| 25. | एक धूसर सुरंग , पंछी की पूंछ से ध...
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| 26. | बोल थे- ' उम्मीद भरा पंछी था खोज रहा सजनी।
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| 27. | लाखों हैं मुक्ति के पंछी , कैद करोगे किसको
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| 28. | पंछी ने भी आमबर से मुह मोड़ लिया
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| 29. | पंछी , पर्वत, सूर्यास्त के परे, वह दूसरा किनारा.
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| 30. | “पिंजरे में पंछी किस्म किस्म के” ( चर्चा मंच-713)
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