माँ और पितामही , की बातों से जो जाना है युवराज ने आज कथा-क्रम में सब सुन रहे हैं .
22.
इसके विपरीत उनकी पितामही सास , राणा सांगा की माता झाली रानी रत्नकुंवरी को रैदास की शिष्या लिखा है ।
23.
पितामह को आर्य ( हिन्दी - आजा) और पितामही को आर्या (हिंदी - आजी, ऐया, अइया) कहने की प्रथा रही है।
24.
सारे गहने उनकी पितामही के जमाने के थे , नए फैशन का बारीक काम न था- जैसा मोटा था वैसा ही भारी था।
25.
अरे पता है तुमको हमारे पितामह तो पतला जला जला कर भी पढ़े हैं और पितामही तो पतला जला कर ही साँझ देती थीं।
26.
मेरे पूज्य पितामह के चौथे विवाह का जश्न चल रहा है और भावी पितामही अपनी आठवीँ शादी मेँ भी कयामत ढ़ा रही हैँ ।
27.
पितामह को आर्य ( हिन्दी - आजा ) और पितामही को आर्या ( हिंदी - आजी , ऐया , अइया ) कहने की प्रथा रही है।
28.
* आश्विन मास की [ [ शुक्ल पक्ष ]] की [[ प्रतिपदा ]] को पौत्र द्वारा , जिसके पिता जीवित हों , अपने पितामह तथा पितामही के [[ श्राद्ध ]] का विधान है।
29.
उदार भावना के कारण उन्होंने सभी सम्प्रदायों की सत्संगति की होगी और बहुत संभव है कि अपनी पितामही सास झाली रानी के पास आने वाले रैदास के शिष्यों से वे प्रभावित हुई हों।
30.
मिताक्षरा तथा दायभाग दोनों ने पांच स्त्रियों अर्थात् विधवा , पुत्री , माता , पितामही और प्रपितामही को दाय योग्य माना है किन्तु इन दोनों में भी वारिसों के उत्तराधिकार क्रम के बारे में मतभेद रहा।