1948 में , एस्ट्रिड फेगरेओस ने पाया कि प्लाविका कोशिकाओं के रूप में बी कोशिकाएं (B cells) प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार थीं.
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प्लाविका या रक्त प्लाज्मा , रक्त का पीले रंग का तरल घटक है, जिसमें पूर्ण रक्त की रक्त कोशिकायें सामान्य रूप से निलंबित रहती हैं।
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प्लाविका या रक्त प्लाज्मा , रक्त का पीले रंग का तरल घटक है, जिसमें पूर्ण रक्त की रक्त कोशिकायें सामान्य रूप से निलंबित रहती हैं।
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रुधिरवाहिकाएँ विस्तारित होती हैं , उनकी दीवारों की प्रवेश्यता बढ़ जाती है और अतिरिक्त रक्तधर ऊतकों (extra vascular tissues) में प्लाविका (plasma) और विद्युद्विश्लेष्य (electrolytes) निकलते हैं।
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लगातार 24 घंटे की अवधि के लिए रक्त प्लाविका ( ब्लड प्लाज़्मा) शर्करा (ग्लूकोज़) के स्तर को साधारणतया 4-8 मिमी ओएल/एल (72 और 144 मिलीग्राम/डीएल) बनाए रखा जाता है.
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धमनीय ( आर्टेरियल) प्लाविका (प्लाज़्मा) अथवा सीरम स्तर शिरापरक (वीनस) स्तरों (लेवेल्स) से थोड़े-थोड़े ऊपर होते हैं, तथा आमतौर पर विशेष रूप से कोशिका (कैपलरी) स्तरों की बीच होते हैं.
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दूसरी ओर , पूरी की पूरी रक्तशर्करा के स्तर (अर्थात अंगुली में चूमन वाली मीटरों (फिंगरप्रिक मीटर्स के द्वारा) शिरापरक प्लाविका (वेनस प्लाज़्मा) स्तरों से लगभग 10%-15% तक कम होते हैं.
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( 1) पृष्ठीय दाह में तरल, लवणद्रव और प्लाविका का समान भागों में प्रयोग करके तथा गहरे दाह में प्लाविका, रुधिर और लवणद्रव के प्रयोग से रोगी के प्राणों की रक्षा करना,
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( 1) पृष्ठीय दाह में तरल, लवणद्रव और प्लाविका का समान भागों में प्रयोग करके तथा गहरे दाह में प्लाविका, रुधिर और लवणद्रव के प्रयोग से रोगी के प्राणों की रक्षा करना,
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इस लेख में चर्चित रक्तशर्करा के स्तर चिकित्सकीय प्रयोगशालाओं में स्वचालित तरीके से ग्लूकोज़ ऑक्सीडेज़ पद्धतियों के मानक का प्रयोग कर शिरापरक ( वेनस) प्लाविका (प्लाज़्मा) या सीरम स्तर मापे जाते हैं.