इसलिए बुद्घ ने ' धम्म ' ( धर्म ) का , बीच का मार्ग अपनाने को कहा।
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किनारे भर दिखाई पड़ते हैं , सूखा बीच का मार्ग दिखाई पड़ता है , नदी दिखाई नहीं पड़ती।
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स्कूल में जब इन वादों के बारे में जाना तबसे ही मुझे तो बीच का मार्ग बेहतर लगा .
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ये कभी भी बीच का मार्ग नही अपनाते है . हमेशा चरम प्रवृति मे काम करते है .इसी अनोखे प्रवृति के कारण अपने जीवन मे महत्वपुर्ण भुमिका निभाते है .
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कठोर तपस्या छोड़कर उन्होने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला , जो बीच का मार्ग भी कहलाता जाता है क्योंकि यह मार्ग दोनो तपस्या और असंयम की पाराकाष्टाओं के बीच में है ।
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ऐसे ही समय में बाबू भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का हिन्दी गद्य साहित्य में आविर्भाव हुआ जिन्होंने हिन्दी के प्रचार-प्रसार के उपरोक्त दोनों मार्गों को एक साथ मिला कर एक बीच का मार्ग निकाला।
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इसलिये उन्होंने बीच का मार्ग अपनाकर यह कहा कि मन्दिर प्रवेश के लिये अस्पृश्यों द्वारा आन्दोलन करने के बदले स्पृश्यों को ही अपना एक कत्र्तव्य समझकर यह कार्य करना चाहिये अर्थात् गाँधी अस्पृश्यों के लिये दरवाजा तो खोलते है परन्तु अन्दर आने की बात नही करते हैं।
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व्यक्ति अपने जीवन के २५-३० साल अपनी ज़िन्दगी संवारने में और बाकी जीवन बच्चों की ज़िन्दगी में लगा देता है ये भी शायद इसलिए है कि अभी भी लोग एक व्यवस्था से दोसरे में पूरी तरह स्थानांतरित नहीं हो पाए हैं और बीच का मार्ग तलाश रहे हैं .
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व्यक्ति अपने जीवन के २५-३० साल अपनी ज़िन्दगी संवारने में और बाकी जीवन बच्चों की ज़िन्दगी में लगा देता है ये भी शायद इसलिए है कि अभी भी लोग एक व्यवस्था से दोसरे में पूरी तरह स्थानांतरित नहीं हो पाए हैं और बीच का मार्ग तलाश रहे हैं .
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महात्मा बुद्ध ने मध्यम मार्ग का उपदेश क्यों दिया ? उत्तर: क्योंकि मध्यम मार्ग अति भोग-विलासपूर्ण जीवन और घोर तपस्या द्वारा शरीर को यातना देने वाले जीवन के बीच का मार्ग था.2. भगवान महावीर ने पूर्ण अहिंसा का उपदेश क्यों दिया ?उत्तर: क्योंकि सभी चेतन और अचेतन के अन्दर जीव विद्यमान है.3.