वास्तव में कृष्ण स्वयं से 1400 वर्ष पहले देवयान और पितृयान में विभाजित और ऋक्संहिता में वर्णित उस संवत्सर का सन्दर्भ ले रहे थे जब महाविषुव ( आज का 23 मार्च ) के दिन प्राची में सूर्य का उदय मृगशिरा नक्षत्र में होता था और वसन्त ऋतु से प्रारम्भ नये वर्ष का पहला महीना मार्गशीर्ष होता था।
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- स्पष्टत : इस दिन को भी यह देखा जाता रहा कि किस नक्षत्र में है ! - पृथ्वी की एक और गति के कारण जिसमें कि घूर्णन अक्ष ही लट्टू के शीर्ष जैसा घूमता रहता है ( आवृत्ति लगभग 26000 वर्ष ) , महाविषुव के दिन भी हर 72 वर्ष में एक अंश पीछे होते जाते हैं।
23.
- स्पष्टत : इस दिन को भी यह देखा जाता रहा कि किस नक्षत्र में है ! - पृथ्वी की एक और गति के कारण जिसमें कि घूर्णन अक्ष ही लट्टू के शीर्ष जैसा घूमता रहता है ( आवृत्ति लगभग 26000 वर्ष ) , महाविषुव के दिन भी हर 72 वर्ष में एक अंश पीछे होते जाते हैं।