| 21. | अभिषिक्त जल इन्द्र की मूर्धा पर डालकर इन्द्र की मलिनता को शुद्ध किया गया।
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| 22. | संस्कृत में ये ध्वनियाँ मूर्धा से उच्चरित होने के कारण मूर्धन्य कही जाती थीं।
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| 23. | “ री ” में र ई ऐसे दो वर्ण मूर्धा और तालु स्थान के हैं।
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| 24. | ऋ ट् ठ् ड् ढ् ण् ड़् ढ़् र् ष् मूर्धा और जीभ मूर्धन्य 4 .
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| 25. | य ( तालु ) र ( मूर्धा ) ल ( दांत ) व ( होठ )
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| 26. | ऋग्वेद के अन्तिम मंडल के 159वें सूक्त में पंक्ति है-अहं के तुरहं मूर्धा इहा मुग्रा विवाचुनी।
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| 27. | ‘‘ मूर्धा की ज्योति में संयम या ध्यान करने से सिद्ध पुरुषों के दर्शन होते है।
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| 28. | श ( तालु ) ष ( मूर्धा ) स ( दांत ) ह ( कण्ठ )
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| 29. | ऋ के लिये मूर्धा का अंतिम हिस्सा तथा लृ के लिये दन्तमूल उप-उच्चारण स्थान माने गये हैं।
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| 30. | उनमें से एक नाड़ी मूर्धा , कपाल की ओर निकली हुई है इसे ही सुमुम्ना कहते हैं।
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