वयस्क मनुष्य में 32 स्थायी दांत होते हैं , जिनके चार प्रकार हैं जैसे- कॄंतक ; I , रदनक ; C अग्र-चर्वणक ; PM और चर्वणक ; M।
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हर जबड़े की बीच वाली रेखा के हर तरफ पांच-पांच दांत होते हैं जिनके मध्य रेखा से नाम- दो कृंतक ( Incisors ) , एक रदनक ( Canine ) तथा चर्वणक या मोलर होते हैं।
23.
होठों के आंतरिक भाग का बाहर दिखाई पड़ना , कानों की बारियों का मुड़ा होना, बालों का संपूर्ण शरीर पर न होना, रदनक दाँत (canine teeth) का होना, ऐसे अन्य गुण हैं जो मनुष्य को कपियों से दूर ले जाते हैं।
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इस सत्य में यदि तनिक संशय रह जाता है , तो वह यह कि ड्रायोपिथीकस के रदनक मनुष्य से कहीं अधिक लंबे हैं और मनुष्य और मनुष्य के पूर्वज में इतने लंबे रदनक (जब कि स्वयं मनुष्य में ये इतने छोटे होते हैं) संभव नहीं जान पड़ते।
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इस सत्य में यदि तनिक संशय रह जाता है , तो वह यह कि ड्रायोपिथीकस के रदनक मनुष्य से कहीं अधिक लंबे हैं और मनुष्य और मनुष्य के पूर्वज में इतने लंबे रदनक (जब कि स्वयं मनुष्य में ये इतने छोटे होते हैं) संभव नहीं जान पड़ते।
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इस सत्य में यदि तनिक संशय रह जाता है , तो वह यह कि ड्रायोपिथीकस के रदनक मनुष्य से कहीं अधिक लंबे हैं और मनुष्य और मनुष्य के पूर्वज में इतने लंबे रदनक (जब कि स्वयं मनुष्य में ये इतने छोटे होते हैं) संभव नहीं जान पड़ते।
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इस सत्य में यदि तनिक संशय रह जाता है , तो वह यह कि ड्रायोपिथीकस के रदनक मनुष्य से कहीं अधिक लंबे हैं और मनुष्य और मनुष्य के पूर्वज में इतने लंबे रदनक (जब कि स्वयं मनुष्य में ये इतने छोटे होते हैं) संभव नहीं जान पड़ते।
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उदाहरणार्थ , खोपड़ी की मेरुदंड पर अग्रिम स्थिति (उसके खड़े होकर चलने का द्योतक), ललाट का गोलाकार होना, भौं-अस्थियों के भारी होते हुए भी उभार का न होना, जबड़े की आकृति, कृंतकों (incisors) का छोटा तथा कम नुकीला होना (यद्यपि रदनक लंबे थे), कूल्हे की इलियम (ilium) नामक अस्थि का चौड़ा होना तथा अन्य बहुत से गुणों में आस्ट्रैलोपिथीकस मनुष्य के इतने निकट था कि उसे मानव परिवार, “होमिनिडी”