इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है , जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है।
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इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है , जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है।
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इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है , जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है , एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है।
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11 वीं हिजरी क़मरी के विख्यात व प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री व परिज्ञानी मुल्ला सद्रा के नाम से प्रसिद्ध सदरूद्दीन मुहम्मद शीराज़ी ने हिकमतुल मुताआलिया के नाम से एक नवीन , विस्मयकारक , अनूठे और अनछुए दर्शनशास्त्र का आधार रखा।
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11 वीं हिजरी क़मरी के विख्यात व प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री व परिज्ञानी मुल्ला सद्रा के नाम से प्रसिद्ध सदरूद्दीन मुहम्मद शीराज़ी ने हिकमतुल मुताआलिया के नाम से एक नवीन , विस्मयकारक , अनूठे और अनछुए दर्शनशास्त्र का आधार रखा।
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अगर अद्भूत तत्वज्ञान की बात करें तो अत्यंत विस्मयकारक यह दुनिया किसने बनाई होगी ? वे कहां रहेते होंगे ? वे कैसे होंगे ? वे क्या करते होंगे ? ये सभी प्रश्नों के उत्तर गीताजी में है ।
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हम काफी गंभीरता से सोच कर और ग्यानी जनों के साथ गुढ चिंतन कर के ईस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं की यह समय अनाप सनाप मौलिक मुख पादन , प्रचंड मानसिक रस-स्वादन, विस्मयकारक सोच विचारन हेतु एकदम उपयुक्त समय है.
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बाण ने उसे हरलीला के समान विस्मयकारक , त्रिविक्रम ने अत्यधिक लोगों का मनोरंजन करनेवाला और धनपाल ने उपजीव्य ग्रंथ मानकर उसे सागर के समान विशाल बताया है जिसकी बूंद से संस्कृत के परवर्ती आख्यायिकाकार और कवि अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करते आए हैं।