| 21. | जगदीश सकल जगत का तू ही अधार है
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| 22. | आसा मनसा सकल त्यागि कै जगतें रहे निरासा।
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| 23. | सकल संसार हथेली बसे हनुमन्त भैरव बसे लिलार।
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| 24. | सकल नारी रूप जग के , अंश मेरे !
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| 25. | स्थिर जाम्बवान , - समझते हुए ज्यों सकल भाव,
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| 26. | जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन॥2॥
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| 27. | ससि सत कोटि सुसीतल समन सकल भव त्रास।।
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| 28. | गौ बछड़े के प्रेम को , जाने सकल जहान ।
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| 29. | सहि कुबोल साँसति सकल अँगइ अनट अपमान ।
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| 30. | परमब्रम्ह ही हैं ' सलिल', सकल सृष्टि के मूल।
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