| 21. | सिर्फ सम संख्या यानी छठी , आठवीं, दसवीं, बारहवीं और चौदहवीं रात्रि को ही गर्भाधान संस्कार करना चाहिए।
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| 22. | विषम संख्या वाले साइड के प्लॉट अशुभ और सम संख्या वाले साइड के प्लॉट शुभ माने जाते हैं।
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| 23. | सिर्फ सम संख्या यानी छठी , आठवीं , दसवीं , बारहवीं और चौदहवीं रात्रि को ही गर्भाधान संस्कार करना चाहिए।
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| 24. | परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सम संख्या इस प्रकार न हो जिसमें इकाई के स्थान पर शून्य अंक हो।
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| 25. | परन्तु इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सम संख्या इस प्रकार न हो जिसमें इकाई के स्थान पर शून्य अंक हो।
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| 26. | को लें , जिसके अनुसार 2 से बड़ी प्रत्येक सम संख्या , दो अभाज्यों के योगफल के रूप में निरूपित की जा सकती है।
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| 27. | यदि मणिबंध की गणना सम संख्या मे आये तो प्रथम संतान कन्या होगी और विषम संख्या मे आये तो प्रथम संतान पुत्र होगा।
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| 28. | के नाम से भी जाने जाते हैं , यानि अगर उनके पाऊँ की उंगलियाँ गिनी जाएँ तो वे सम संख्या (ईवन) की होती हैं।
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| 29. | परन्तु इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सम संख्या इस प्रकार न हो जिसमें इकाई के स्थान पर शून्य अंक हो।
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| 30. | जैसे जो संख्या 2 से विभाजित हो वो सम संख्या जो न हो वो विषम , जो किसी से भी विभाजित ना हो वो रूढ़।
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