लक्षणः यह रोगजनक अंकुरण के समय बीज गलन व बीजाकुर सड़न तथा कुछ अधिक आयुके युवा पौधों पर अंगमारी जैसे लक्षण पैदा करता है .
32.
स्तंभछिद्रक ( स्टेम बोरर ) , आड़ू अंगमारी ( पीच ब्लाइट ) तथा पर्णपरिकुंचन ( लीफ कर्ल ) इसके लिए हानिकारक कीड़े तथा रोग हैं।
33.
TMA ( “tristeza y muerte de agave ”) एक अंगमारी है, जिसने टकीला के उत्पादन के लिए उगाए जाने वाले एगेव की उपज को कम किया है.
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१ . ३ राइजोक्टोनिया जड़ सड़न एवं वायव अंगमारी (ष्हिॅओच्टोनिअ षोओट्-रोट्अन्ड् आएरिअल् ब्लिग्ह्ट्) रोगजनक-राइजोक्टोनिया सोलेनाई कुहन (ष्हिॅओच्टोनिअ सोलनि खुह्न्) लैंगिक दशाः थेनेटेफोरस कुकुमेरिस (फ्रैंक) डोन्क फेर्ङेएट् स्टटेःठ्हनटेप्होरुस्चुचुमेरिस् (ञ्रन्क्) ढोन्क्.
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उपयोग - इसकों अंगूर , सेब, दाले, आलू, टमाटर आदि फसलों पर लगने वाली बीमारियों जैसे मृदु रोमिल आसिता, रूक्ष रोग, पामा रोग, अंगेता अंगमारी रोग आदि पर 920 मि ली.
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( 4)(ब) रोग (1) फाइटोफथोरा अंगमारी पत्तियॉं तनों पर जलसिक्त धब्बे दिखाई देते हैं, इस स्थान पर सिंघाडे के रंग के धब्बे बनते हैं जो बाद में काले से पड़ जाते हैं।
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आयरलैंड एक महा दुर्भिक्ष का शिकार हो गया जोकि आलू के एक अंगमारी रोग के कारण उत्पन्न हुआ था जिसने १८४५-४९ के चारवर्षों की अवधि में फसलों को अपनी चपेट में ले लिया।
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( 5) शाकाणु अंगमारी - पत्तियों पर गहरे, भूरे रंग के काले अनियंत्रित धब्बे दिखते हैं जो आर्द एवं गरम वातावरण में तेजी से बढने के कारण पत्ते गिर जाते हैं एवं तनों के संक्रमण में पौधा मर जाता है।
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अगेती व पछेती अंगमारी की रोकथाम के लिए फ़सल पर बीमारी के लक्षण , अगेती अंगमारी- पुरानी पत्तियों पर गहरे भूरे धब्बे , पछेती अंगमारी-पत्तियों के किनारे पर छोटे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने पर या बादल व अधिक आर्द्रता वाला मौसम होने पर वीर एम .
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बीमारी व कीड़ों की रोकथाम के लिए उन्होंने बताया कि जीवाणु अंगमारी बिमारी की रोकथाम के लिए बिजाई के लगभग 50 - 55 दिन बाद अथवा इसकी शुरूआत होने पर 30 ग्राम प्रति एकड़ स्ट्रैप्टोसाइक्लिन व 400 ग्राम प्रति एकड़ ब्लाईटोक्स 50 को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।