वर्ष तक के लिये निगम के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने अथवा सदस्य होने से अनर्ह रहेगा , तथा कोई भी व्यक्ति, जो निगम की किसी समिति से हटाया गया हो, हटाये जाने के दिनांक से 4
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जिला प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि मूल्यांकन केन्द्रो के उपनियंत्रक वित्त शिक्षको के मूल्यांकन बहिष्कार के कारण परीक्षको की कमी से जूम रहे और अनर्ह व्यक्तियों को परीक्षक बनाकर छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे है।
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उपस्थिति 274 अभ्यटर्थियो के शैक्षिणि क / प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों का सघन परीक्षण किया गया , जिसमें 50 अभ्य र्थियो के शैक्षिक प्रमाण पत्र शासनादेश में उल्लिखित शैक्षिक योग्ययताओं से मेल नही खा रहे है , जिस कारण उन्हें अनर्ह की सूची में शामिल किया गया है।
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याची की तरफ से एक दावा यह भी किया गया है कि नवीन विज्ञापन में आयु सीमा का निर्धारण खास अभ्यर्थियों को बदल देगी , जो पूर्व में अर्ह थे और 30 नवम्बर 2011 के विज्ञापन के अनुसरण में आवेदन किया था , अनर्ह हो चुके है।
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याची की तरफ से एक दावा यह भी किया गया है कि नवीन विज्ञापन में आयु सीमा का निर्धारण खास अभ्यर्थियों को बदल देगी , जो पूर्व में अर्ह थे और 30 नवम्बर 2011 के विज्ञापन के अनुसरण में आवेदन किया था , अनर्ह हो चुके है।
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4 ) अनुच्छेद 41 : - राज्य आर्थिक आर्थिक सामर्थ्य और विकास की सीमाओं के भीतर , काम पाने के , शिक्षा पाने के और बेरोजगारी , बुढ़ापा , बीमारी और निःशक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।
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नगर-प्रमुख अथवा उपनगर-प्रमुख , जब तक कि वह अपना पदत्याग नहीं कर देता अथवा उसका अर्ह होना समाप्त नहीं हो जाता अथवा वह अनर्ह नहीं हो जाता, उस समय तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी नगर प्रमुख अथवा उपनगर प्रमुख जैसी स्थिति हो, के पद को ग्रहण नहीं करता।
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संयुक्त राष्ट्र के उपरोक्त सिध्दांतों के अनुरूप ही भारत के संविधान में नीति निर्देशक तत्व अनुच्छेद 41 में स्पष्ट रूप से शासन से अपेक्षित है कि “राज्य अपने आर्थिक सामर्थ्य और विकास की सीमाओं के भीतर काम पाने , शिक्षा अर्जन और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और नि:शक्तता तथा अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।”
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ख- कुछ अवस्थाओं में काम , शिक्षा और लोक-सहायता पाने का अधिकार प्रदान किये जाने के लिए अनुच्छेद 41 राज्य को यह निदेश देता है कि वह अपनी सामार्थ्य और विकास की भीतर प्रत्येक व्यक्ति के लिए काम पाने , शिक्षा प ाने तथा बेकारी , बुढापा , बीमारी और अंगहानि तथा अनर्ह अभाव की दशाओ में सार्वजनिक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त करने का कार्य साधक उपबन्ध करेगा ।