| 31. | अन्वय - ये दोनों श्लोक भी अन्वित क्रम में हैं।
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| 32. | अतएव अन्वय की आवश्यकता नहीं है।
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| 33. | इस अर्थ में पाखाना का अन्वय हुआ पा + खाना।
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| 34. | केवल अन्वय ही जहाँ घटता है।
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| 35. | यहाँ दंड और चक्र का घड़े के बनने से अन्वय
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| 36. | अन्वय - महेश्वरं शैलजां गणनायकं संसारतारकं
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| 37. | उसका अन्वय जो जिस रूप में चाहे कर सकता है।
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| 38. | स्थिति , अन्वय और व्यतिरेक की शक्ति की साधाना से होगी।
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| 39. | स्थिति , अन्वय और व्यतिरेक की शक्ति की साधाना से होगी।
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| 40. | सूचना-उपादान में मुख्यार्थ का अन्वय अंगरूप से-लक्ष्यार्थ के साथ होता
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