यह बहस हिंदी साहित्य के नये पब्लिक स्फीयर फेसबुक के संजीदा उपयोग का एक उदहारण है और उसके बारे में अपरीक्षित धारणाओं का एक सशक्त प्रतिवाद भी . फेसबुक पर बहस लाईव होती है , कोई बोलता नहीं है , सब लाईव लिखते हैं .
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यदि इसके निरीक्षण-परीक्षण पर वह जलधारा खरी उतरे , तो वह उसे आने देगा अन्यथा नहीं क्योंकि वह जानता है कि अपरीक्षित जल न केवल स्वयं गंददी से भरा हो सकता है बल्कि पूरी नदी को भी अपनी सड़ांद से भर डालने की क्षमता रखता है।
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अभ्युपगम - जिस स्थल में प्रतिवादी किसी पदार्थ में अपरीक्षित धर्म को स्वीकार कर लेता है , उस पदार्थ में उसके ( वादी के ) असम्मत अन्य विशेष धर्म की परीक्षा करता है , उस स्थल में प्रतिवादी का स्वीकृत अपर सिद्धान्त अभ्युपगम सिद्धान्त कहलाता है।
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यदि इसके निरीक्षण-परीक्षण पर वह जलधारा खरी उतरे , तो वह उसे आने देगा अन्यथा नहीं क्योंकि वह जानता है कि अपरीक्षित जल न केवल स्वयं गंददी से भरा हो सकता है बल्कि पूरी नदी को भी अपनी सड़ांद से भर डालने की क्षमता रखता है।
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( केईसी ) , इन्फ्रास्ट्रक्चर ईपीसी जगत में एक अग्रणी नाम है तथा पावर ट्रान्समीशन ईपीसी कारोबार में विश्व का लीडर है , जिसने 30 , सितम्बर , 2010 को समाप्त होने वाली दूसरी तिमाही के लिए लेखा अपरीक्षित समेकित परिणामों की आज घोषणा की है।
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मगध , आस्वाद और आत्मीयता के किसी भी व्यंग्य का इस्तेमाल , मात्र कुछ अपरीक्षित व्यवस्थाओं की परिभाषाओं की नैतिक जड़ों को रोपने में नहीं करता बल्कि उसका मंतव्य , मनुष्य के खिलाफ तैयार किये जा रहे , एक आपराधिक संगठन के विस्तृत भूखंड का ब्लू-प्रिंट तैयार करना है .
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परिणामस्वरूप प्रस्तावित कानून पांच साल तक अमेरिकी कांग्रेस में पारित नहीं हो सका किन्तु 1937 की एलिक्सिर सल्फ़ैनिलामाइड त्रासदी जिसमें विषैले , अपरीक्षित विलायक से बनी दवा का प्रयोग करने से 100 से अधिक लोगों का निधन हो गया, के बाद सार्वजनिक हंगामे के कारण शीघ्र ही कानून बना दिया गया.
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परिणामस्वरूप प्रस्तावित कानून पांच साल तक अमेरिकी कांग्रेस में पारित नहीं हो सका किन्तु 1937 की एलिक्सिर सल्फ़ैनिलामाइड त्रासदी जिसमें विषैले , अपरीक्षित विलायक से बनी दवा का प्रयोग करने से 100 से अधिक लोगों का निधन हो गया, के बाद सार्वजनिक हंगामे के कारण शीघ्र ही कानून बना दिया गया.
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आज जब किसी को आलोचना या रचना के क्षेत्र में गुणवत्ता , व्यापक स्वीकृति, अकादमिक गुणवत्ता, नये सौन्दर्य शास्त्र की चिन्ता तथा वैचारिक संघर्ष की ज़रूरत नहीं अनुभव होती तब युवा लेखकों बरगलाने एवं मीडिया में फैलने के लिए बार-बार अपरीक्षित नकली स्वायतत्ता और अपरिक्षित ढंग से पार्टीबद्धता का ढिंढोरा पीटा जाता है।
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वह स्वयं को प्रयोगवादी कहे जाने को अधिक पसंद नहीं करते थे , वैसे ही जैसे मार्क्स मार्क्सवादी नहीं थे भले ही मार्क्सवाद के चिंतन का उन्होंने प्रतिपादन किया था , लेकिन हिन्दी जगत की यह विशेषता है कि वह बहुत अपरीक्षित धारणाओं को आसानी से स्वीकार कर आगे बढ़ाता रहता है .