| 31. | चार बांस चोवीस गज , अंगुळ अष्ट प्रमाण।
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| 32. | यह अष्ट सिद्धियों कों प्रदान करता है।
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| 33. | यह अष्ट धातु से निर्मित है ।
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| 34. | अष्ट बुझ को धारी , शत्रु को दो सम्हारी |
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| 35. | अष्ट सिद्धियाँ , नौ निधियाँ प्रसिद्ध हैं।
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| 36. | अष्ट दिशाओं में ईशान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
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| 37. | तब अष्ट प्रधान मंडल की स्थापना की गयी [ 2]।
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| 38. | अंगुल अष्ट प्रमाण , सुना तो करते सहज लक्ष्य का बेधन
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| 39. | [ संपादित करें ] अष्ट मठों के स्वामीजी
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| 40. | अष्ट संस्कार ( क्योंकि पारद जीवित- जाग्रत है)
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