| 31. | कौन कर्त्ता है , कौन फल का भोक्ता है।
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| 32. | एक ओर पुरुष को जगत् का कर्त्ता माना गया।
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| 33. | यह भी है कि कर्त्ता के लिंग ,
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| 34. | जीव कर्त्ता होने से सुख दुख का भोक्ता है।
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| 35. | कर्त्ता ही कर्मं का जिम्मेदार होता है।
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| 36. | तब कर्म बिना कर्त्ता भाव से किए जाते हैं।
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| 37. | आप कर्त्ता धर्त्ता हैं , करतार जगदाधार है ।।
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| 38. | उसी को तुम वेद का कर्त्ता मानो।”
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| 39. | अकर्म का अर्थ , ऐसा कर्म, जिसमें कर्त्ता नहीं है।
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| 40. | उसी को तुम वेद का कर्त्ता मानो।
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