| 31. | तमाम धरती पे बारूद बिछ चुकी है ख़ुदा
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| 32. | तक़दीर रुठ जाये तोमेरे ख़ुदा मै क्या करु।
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| 33. | ख़ुदा के फ़ज़ल से इतना बड़ा चौरा है।
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| 34. | गर ख़ुदा टूटेगा हम तो न बना पायेंगे
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| 35. | और इल्म के ज़रिए इबादत ख़ुदा होती है।
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| 36. | कुछ कर गुजरना है ख़ुदा और उम्र दे
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| 37. | बड़ी से बड़ी चीज़ भी ख़ुदा से मांगें।
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| 38. | अगर ख़ुदा चाहे तो कोई सूरत निकल आए।
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| 39. | ख़ुदा की तजल्ली साधक को तसल्ली देती है।
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| 40. | ज़िन्दगी बख़्शी ख़ुदा ने इस तरह नीरज हमें
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