| 31. | साधक के पेडू , जननेंद्रिय तथा प्रजनन सबंधित सभी रोग दूर होते है
|
| 32. | रक्तस्राव या जननेंद्रिय से तरल पदार्थ आना , जिससे बदबू आती हो
|
| 33. | तभी तुम्हें जननेंद्रिय के संभोग से छुटकारा मिलेगा और ब्रह्मचर्य उपलब्ध होगा।
|
| 34. | मूत्र या मल जननेंद्रिय के मार्ग से निकलना ( मल विसर्जन के समय)
|
| 35. | अभी जननेंद्रिय में तुम स्पंदन अनुभव करते हो , सजगता अनुभव करते हो।
|
| 36. | पुरूष को अपना अवधान जननेंद्रिय की जड़ पर केंद्रित करना होता है।
|
| 37. | अभी जननेंद्रिय में तुम स्पंदन अनुभव करते हो , सजगता अनुभव करते हो।
|
| 38. | तभी तुम्हें जननेंद्रिय के संभोग से छुटकारा मिलेगा और ब्रह्मचर्य उपलब्ध होगा।
|
| 39. | तभी तुम्हें जननेंद्रिय के संभोग से छुटकारा मिलेगा और ब्रह्मचर्य उपलब्ध होगा।
|
| 40. | अब अभी जननेंद्रिय में तुम स्पंदन अनुभव करते हो , सजगता अनुभव करते हो।
|