समुद्री द्वीप क्रीट में साढ़े तीन-चार हजार साल पहले विकसित मिनोअन सभ्यता के छः एकड़ क्षेत्र में फैले राजमहल के भग्नावशेष मिले , जिसमें जल-आपूर्ति और निकास की तकनीक दंग कर देने वाली है।
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और जल विवाद के मामले में वह अन्तर्राष्ट्रीय जल प्राधिकरण में इस बात की गारंटी पाकिस्तान को दे चुका है कि उसे कभी भी जल-आपूर्ति बाधित नहीं की जाएगी अंतः उसकी शंका जायज नहीं है।
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निजीकरण की योजनाएं जोहानस्बर्ग और मनीला में भी लडखडाई हैं . गंगा नदी से निकली गंग नहर से नई दिल्ली के सोनिया विहार में जल-आपूर्ति की योजना भी इसी सुवेज के हवाले है.सर्वाधिक प्रसिद्ध मामला दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया के एक बडे शहर कोचाबाम्बा का है.
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निजीकरण की योजनाएं जोहानस्बर्ग और मनीला में भी लडखडाई हैं . गंगा नदी से निकली गंग नहर से नई दिल्ली के सोनिया विहार में जल-आपूर्ति की योजना भी इसी सुवेज के हवाले है.सर्वाधिक प्रसिद्ध मामला दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया के एक बडे शहर कोचाबाम्बा का है.
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कितने नगरों को नर्मदा का पानी दिया जाएगा और कब तक ? किस कीमत पर ? एक तरफ पानी का संकट है , दूसरी तरफ 24 घंटे पानी का लालच देकर जल-आपूर्ति का ठेका निजी कंपनियों को देने की तैयारी भी की जा रही है।
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राज्य की वाम मोर्चा सरकार का तर्क था कि इन गांवों में जल-आपूर्ति , प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक चिकित्सा की जिम्मेदारी चाय बागान प्रबन्धन की होगी.सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका के फलस्वरूप चाय बागानों के बीच बसे गांवों को पंचायतराज व्यवस्था से जोडना पडा है.
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विश्व-बैंक द्वारा पानी-उद्योग को एक खरब डॊलर के उद्योग के रूप में माना जा रहा है तथा बढावा दिया जा रहा है . विश्व बैंक द्वारा सरकारों पर दबाव है कि वे जल-आपूर्ति की सार्वजनिक व्यवस्था निजी हाथों में सौंप दें.पानी इक्कीसवीं सदी का ‘नीला सोना' बन गया है.
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विश्व-बैंक द्वारा पानी-उद्योग को एक खरब डॊलर के उद्योग के रूप में माना जा रहा है तथा बढावा दिया जा रहा है . विश्व बैंक द्वारा सरकारों पर दबाव है कि वे जल-आपूर्ति की सार्वजनिक व्यवस्था निजी हाथों में सौंप दें.पानी इक्कीसवीं सदी का 'नीला सोना' बन गया है.
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कहीं टेलीफोन कम्पनियों के मजदूर केबल बिछाने के नाम पर गड्ढे खोद जाते हैं , तो कहीं जल-आपूर्ति की पाइप -लाइन मरम्मत के नाम पर सड़क की खोदाई हो जाती है , खोदने वाले खोद कर चले जाते हैं और उन्हें खोजने वाले खोजते रहते हैं .
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गंगा , यमुना , गोदावरी , महानदी , इन्द्रावती , नर्मदा , कृष्णा कावेरी जैसी राष्ट्रीय नदियों के साथ-साथ उनकी सहायिकाओं के रूप में अनेकानेक आंचलिक नदियाँ भारत-भूमि को सदियों से तृप्त करती आ रही हैं , इन सहायक नदियों को जल-आपूर्ति के लिए कई बरसाती नाले भी हमारे गाँवों और शहरों के आस-पास प्रवाहित होते रहे हैं .