| 31. | जैसे ज़िंदगी कभी वैसी ज़िंदगी नहीं होती ।
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| 32. | मैं ज़िंदगी को इस तरह जीता चला गया
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| 33. | लोग ऐसे ज़िंदगी में हाथ फिर मलते नहीं
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| 34. | १८६९ . तुम्हें देखा तो लगा ज़िंदगी मुस्काई थी-
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| 35. | जो ज़िंदगी में जनक से बड़े योगी हैं ?
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| 36. | जिसके नाम मैंने अपनी ज़िंदगी कर दी . ..
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| 37. | मिट्टी से जुडी ज़िंदगी की ओर लौटना . ..
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| 38. | उसे तो अपनी ज़िंदगी में बेहतरी चाहि ए .
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| 39. | जो ज़िंदगी में जनक से बड़े योगी हैं ?
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| 40. | वह फिर इस बात को पूरी ज़िंदगी नहीं
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