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शब्दकोश > हिंदी शब्दकोश > "तक्षण" अर्थ

तक्षण का अर्थ

उदाहरण वाक्य
31.उनका कहना है कि तंजौर का मंदिर यद्यपि रामेश्वरम् मंदिर की अपेक्षा विशालता तथा सूक्ष्म तक्षण की दृष्टि से उत्तमता से उसका दशमांश भी नहीं है किंतु संपूर्ण रूप से देखने पर उससे अधिक प्रभावशाली जान पड़ता है।

32.गुप्तकाल के पश्चात् कालिका मन्दिर के रूप में विद्यमान चित्तौड़ का प्राचीन ' सूर्य मन्दिर' इसी ज़िले में छोटी सादड़ी का भ्रमरमाता का मन्दिर कोटा में, बाड़ौली का शिव मन्दिर तथा इनमें लगी मूर्तियाँ तत्कालीन कलाकारों की तक्षण कला के बोध के साथ जन-जीवन की अभिक्रियाओं का संकेत भी प्रदान करती हैं।

33.कामदेव के वार से कभी कोई भी नहीं बच सका चाहे वो मनुष्य हों , देव या दानव ही | पर जब कामदेव ने आपकी शक्ति समझे बिना आप की ओर अपने पुष्प बाण को साधा तो आपने उसे तक्षण ही भष्म करा दिया| श्रेष्ठ जानो के अपमान का परिणाम हितकर नहीं होता|

34.विल्कुल तक्षण …… अभी के अभी बता सकता हूँ ………… . सब बड़े हैरान हुए , और खुश भी ………… .. कि ये तो बड़ा ज्ञानी है , जितना सुना है उससे भी ज्यादा …………… कमाल का आदमी है …………… सो कोतवाल ने शेखचिल्ली से पूछा बताओ , किसने कि है ये चोरी .

35.पर इस युग की सभ्यता के बाह्म प्रतीक कला का जिसमें मूर्तिकला , तक्षण , वास्तु इत्यादि सम्मिलित है , हमें कुछ भी पता नहीं है , इसका एक कारण तो यह है कि अपने देश की जलवायु के कारण लकड़ी , कपड़े और धातु के समान तो प्राय : सभी नष्ट हो चुके हैं।

36.पर इस युग की सभ्यता के बाह्म प्रतीक कला का जिसमें मूर्तिकला , तक्षण , वास्तु इत्यादि सम्मिलित है , हमें कुछ भी पता नहीं है , इसका एक कारण तो यह है कि अपने देश की जलवायु के कारण लकड़ी , कपड़े और धातु के समान तो प्राय : सभी नष्ट हो चुके हैं।

37.हे प्रभु ! !! कामदेव के वार से कभी कोई भी नहीं बच सका चाहे वो मनुष्य हों, देव या दानव ही | पर जब कामदेव ने आपकी शक्ति समझे बिना आप की ओर अपने पुष्प बाण को साधा तो आपने उसे तक्षण ही भष्म करा दिया| श्रेष्ठ जानो के अपमान का परिणाम हितकर नहीं होता|

38.हे प्रभु ! !! कामदेव के वार से कभी कोई भी नहीं बच सका चाहे वो मनुष्य हों , देव या दानव ही | पर जब कामदेव ने आपकी शक्ति समझे बिना आप की ओर अपने पुष्प बाण को साधा तो आपने उसे तक्षण ही भष्म करा दिया | श्रेष्ठ जानो के अपमान का परिणाम हितकर नहीं होता |

39.वीणापाणिनी नें पहले की तरह श्वेत साड़ी पहन ली थी , गले में मुक्ता की वही पुरानी माला पहनते हुए एक बार मन में आया कि सनन्दन के पिता से कहूँगी कि बरसों पुरानी इस माला के स्थान पर नई दिलवा दें किन्तु तक्षण ही उन्हें याद आया कि १०८ मनकों कि जिस माला को वह स्रष्टि के आदि से पहनें हुए है उसे बदलनें का मतलब है स्रष्टि का अन्त।क्योंकि 'अकारो व सर्वावाक'।

40.वीणापाणिनी नें पहले की तरह श्वेत साड़ी पहन ली थी , गले में मुक्ता की वही पुरानी माला पहनते हुए एक बार मन में आया कि सनन्दन के पिता से कहूँगी कि बरसों पुरानी इस माला के स्थान पर नई दिलवा दें किन्तु तक्षण ही उन्हें याद आया कि १०८ मनकों कि जिस माला को वह स्रष्टि के आदि से पहनें हुए है उसे बदलनें का मतलब है स्रष्टि का अन्त।क्योंकि ‘अकारो व सर्वावाक'।

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