| 31. | कृत्रिम और दिखाऊ रीति रस्म के ही रूप में रह गया है।
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| 32. | जो कुछ कहा जाए अन्दर से कहा जाए , दिखाऊ नहीं .
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| 33. | जो कुछ कहा जाए अन्दर से कहा जाए , दिखाऊ नहीं .
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| 34. | अभी भी दिखाऊ सहाननुभूति वाले को चाँटा मार देने की इच्छा होती है।
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| 35. | यहाँ तक कि कभी खुल्लमखुल्ला स्तन दिखाऊ ब्लॉग के विरोध में लिख देते
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| 36. | अभी भी दिखाऊ सहाननुभूति वाले को चाँटा मार देने की इच्छा होती है।
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| 37. | छवि दिखाऊ पत्रकारिता में शब्द से ज्यादा अंदाज और बाइट्स का महत्व है।
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| 38. | दुकानदार “ हाँ भाई हाँ . ..!! क्या दिखाऊ...?? शेरवानी, सेहरा, जूते, छडी...क्या लोगे...?? ”
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| 39. | यहाँ तक कि कभी खुल्लमखुल्ला स्तन दिखाऊ ब्लॉग के विरोध में लिख देते . ..
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| 40. | **अभी भी दिखाऊ सहाननुभूति वाले को चाँटा मार देने की इच्छा होती है।
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